मेरा नाम ओम सोनी है। वैसे शेक्सपीयर महोदय का कहना है कि नाम में क्या है, लेकिन मेरा मानना है कि नाम से भी फ़र्क पड़ता है। क्योकिं यदि आप मुझे किसी और नाम से पुकारेगें तो मुझे कैसे पता चलेगा कि आप मुझसे मुख़ातिब है। यही एक टैग है जो कि हम इंसानों के साथ जन्म से लेकर मृत्यु तक लगा रहता है। उम्र कुछ ज्यादा नहीं ३२ साल है। ज्यादा इसलिये नहीं क्योंकि उम्र उतनी ही होती है जितनी हम महसूस करते हैं। मूल रूप से इंदौर, मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ लेकिन बचपन से पिताजी की शासकीय नौकरी की वजह से तो अब अपनी रोजी-रोटी की वजह से एक जगह नहीं रह पाया।
परिवार में एक सुन्दर पत्नी, दो प्यारे बच्चे, माता-पिता और एक भाई है। एक बहन भी है जिसका विवाह हो चुका है। पेशे से निजी सेवक हूँ, मतलब प्रायवेट नौकरी करता हूँ और रोज वायदा बाजार में चीजों के दामो को घटते-बढ़ते देखता रहता हूँ। सुबह १० से रात की ९ बजे तक मेरा यही काम है। और इसके बाद कुछ करने की ना इच्छा होती है और ना हिम्मत।
यह मेरा ब्लॉग लिखने का प्रथम प्रयास तो नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी एक ब्लॉग बना कर उस पर एक पोस्ट डाल चुका हूँ। पर उस पोस्ट के बाद कुछ नहीं लिख पाया। इसलिये सोचा एक बार फिर से प्रयास किया जाये। अपने विचारों एवं मन की भड़ास को जब तक बाहर नही निकालो तब तक मन को शांति नही मिलती। और आज के ज़माने किसके पास इतना समय है कि वह आपके विचारो को सुने। इसके लिये ब्लॉग से अच्छा और कोई माध्यम नही हो सकता। किसी ने सही कहा है कि जब ९ से ६ का टाइम-टेबल खत्म होता है तब जिन्दगी शुरू होती है।
बस इससे ज्यादा अपने बारे में कुछ नहीं कहना है और ना ही आप पढ़ना पसंद करेंगे। इसलिये, आज यहीं तक।