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मार्च
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जनता, सरकार और टैक्स

सरकार को जनता से हमेशा यह शिकायत रही है कि जनता पूरी ईमानदारी से टैक्स नहीं चुकाती है और यह सही भी है। कई व्यापारी, बिजनेसमेन, खिलाड़ी, अभिनेता अपनी आय छुपाते हैं। तो कई व्यापारी बिना बिल के माल बेचते है। इस तरह से की जाने वाली टैक्स चोरी आम बात है। वहीं आम व्यक्ति भी यही सोचता रहता है कि टैक्स कैसे बचाया जाये। सरकार और जनता दोनों जानते हैं कि हमारे द्वारा दिये गये टैक्स से कई विकास कार्य किये जा सकते हैं, ये अलग बात है कि होते नहीं है। अगर टैक्स ना भरना जनता का गुनाह है तो कुछ ख़ता तो सरकार की भी होगी। क्योंकि ताली तो दोनों हाथो से ही बजती है ना। ये तो वही बात हो गई कि –

खूब निभेगी हम दोनों में, मेरे जैसा तू भी है
थोड़ा झूठा मैं भी ठहरा, थोड़ा झूठा तू भी है

हम अपना टैक्स ईमानदारी से देने के लिये तैय्यार हैं, अगर सरकार कुछ वादे करे कि वो –

१. हमारे टैक्स की राशि को निकम्में नेताओं, मंत्रियों की सुरक्षा पर खर्च नहीं करेगी और ना ही इनके ऎशो-आराम पर। नेताओं के साथ-साथ अभिनेताओं और खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुरक्षा भी वापस ली जायेगी। अगर इन्हें अपनी जान की चिंता है तो अपनी सुरक्षा स्वयं करें। आखिर हमारे देश में सभी समान है तो अगर हमें सुरक्षा नहीं मिलती तो इन्हें क्यों मिले?

२. सभी मंत्रियों के अपने ही देश मे होने वाले हवाई दौरो को रद्द कर दें। क्योंकि इन लोगो का कहीं भी जाना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण तो दूर की बात है कोई मायने ही नहीं रखता है। क्योंकि जब संसद में ही ये लड़ने-झगड़ने और विरोध करने के सिवा कुछ नहीं कर सकते तो कहीं और जाकर क्या कर लेगें। जाना ही है तो देश में बस और ट्रेन है ना।

३. उन खिलाड़ियों की सुविधायें भी खत्म कर दें जो खेल से ज्यादा विजापनों में काम करने में अपना ध्यान लगाते हैं। जब खेलना ही नहीं है तो देश की जनता की भावनाओं से क्यों खेल रहे हो भाई?

४. सभी अधिकारियों, नेताओं की आय से अधिक जो भी संपत्ति है वो जब्त कर ली जाये। क्योंकि इनका जितना धन विदेशों में और अपने देश में काले धन के रूप में यूँ ही रखा हुआ है, यदि वह देश को मिल जाये तो भारत की तस्वीर बदल सकती है और हमारी बेरंग जिंदगी में भी रंग आ सकते हैं।

५. अगर अपना कार्य करवाने के लिये सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत ना देना पड़े तो, वही धन टैक्स भरने के काम आ सकता है।

६. पुलिस वालों को वेतन नहीं दिया जाना चाहिये। जब वो जनता और अपराधियों से ही वेतन से ज्यादा कमा लेते हैं तो फिर वेतन की क्या आवश्यकता है? अगर ये सरकार के वेतन पर काम करते तो देश में इतने अपराध बढ़ सकते थे क्या?

७. सरकार अपनें सांसदों, मंत्रियों और विधायकों आदि को लैपटाप ना वितरित करें। ये पढ़े-लिखे लोगो के लिये है भाई। सरकार में ज्यादातर लोग आपराधिक छवि वाले हैं या फिर कम पढ़े-लिखे। अब ये लोग लैपटाप का क्या करेंगें?

८. इन लोगो को लालबत्ती वाली गाड़ियां दी जाती है। इन्हें सिर्फ़ लालबत्ती दी जानी चाहिये, गाड़ियां नहीं। क्योंकि पेट्रोल-ड़ीजल बहुत महंगा है। हम अपनी गाड़ियों में नहीं भरवा पाते और ये हमारे ही पैसों से मज़े से घुमते हैं। इनकों तो साईकिल दी जानीं चाहिये ताकि इनका स्वास्थ्य भी ठीक रहे और इनकें विदेशों में इलाज का खर्च भी हमें नहीं उठाना पड़े।

९. बजट सिर्फ़ आम लोगो के लिये नहीं मंत्रियों के लिये भी बनाया जाना चाहिये। इन्हें भी तो आटे-दाल, आलू-प्याज के दाम मालुम होना चाहिये।

१०. सांसद, विधायक, नेता या मंत्री बनने के लिये भी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता होना चाहिये। जैसी की नौकरी के लिये हमसे अपेक्षा की जाती है।

ऎसे और भी कई मुद्दे हैं, अगर सरकार पूरी ईमानदारी से इन पर कार्य करती है तो हम भी पूरी ईमानदारी से अपना टैक्स भरने और जिम्मेदार नागरिक बनने का वादा करतें हैं। और यह ध्यान रहे कि ये एक आम आदमी का वादा है किसी नेता का नहीं। जैसा कि ये चुनाव के समय करते हैं।


2 प्रतिक्रियाएँ to “जनता, सरकार और टैक्स”


  1. मार्च 10, 2010 को 3:16 अपराह्न

    बहुत सुन्दर. विचार योग्य. बढ़िया…
    लगे रहिये…..


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